बाबर का जीवनी :-
मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक |
Babar biography in hindi |
परिचय :-
बाबर का जन्म 23 फरवरी 1483 में फ़रगना घाटी के अन्दिझान नामक शहर ( वर्तमान में उज्बेकिस्तान ) में हुआ था | बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था | आपके पिता का नाम उमरशेख मिर्जा था जो फरगान की जागीर का मालिक था | तथा माता का नाम कुतुलनिगार खान था |
आप अपने पिता के ओर से तैमूर के वंशज और माँ के ओर से चंगेज खान के वंशज थे | जिस कारण कुशल प्रशासन आपके खून में ही था | आपके पत्नी का नाम आयशा सुल्तान , जैनब सुल्तान , मासूमा सुल्तान , महम सुल्तान , गुलरुख बेगम , दिलदार मुबारका , बेगा बेगम थी |
कहा जाता है आपके 11 बेगम थे जिनसे आपको 20 बच्चे मिले जिसमे हुमायु सबसे बड़ा था जिसे आपने अपना उत्तराधिकारी के रूप में चुना | आपके अन्य बच्चे निम्न है - कामरान मिर्जा , अस्करी मिर्जा , हिन्दाल मिर्जा , फख्र-उन-निस्सा | आपका मृत्यु 26 दिसम्बर 1530 को आगरा में हुआ था |
बाबर शासक के रूप में :-
पिता की मृत्यु के बाद 1494 में 11 वर्ष की आयु में आपको फरगना घाटी के शासक नियुक्त किया गया आपके अल्प आयु का फायदा आपके चाचाओं ने लिया और आपको राजगद्दी से हटा दिया |
बाबर का संघर्ष जीवन :-
बाबर ने 1501 में समरकंद पर आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया था | किन्तु जल्द ही उज्बेक खान मुहम्मद शायबानी से आप हर गए | 3 वर्षो तक आप अपने विश्वसनीय लोगो के साथ सेना का निर्माण में लग गये और 1506 में आप हेरात पर आपना आधिपत्य कर लिया किन्तु साधनो के आभाव में आप यहाँ शासन करने में असफल रहे | किन्तु काबुल में आप जल्द ही अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया |
Babar biography in hindi |
1510 में फारस के शाह स्माइल प्रथम जो सफवी वंश का शासक था उसने उज्बेक खान मुहम्मद शायबानी को हराकर समरकंद पर अधिकार कर लिया | यह देख कर आप ने भी हेरात पर पुनः आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया |
आपने शाह स्माइल प्रथम जो सफवी वंश का शासक था उनसे संधि कर लिया जिसमे आपने उनकी श्रेष्टता स्वीकार की बदले में उन्होंने मध्य एशिया में आपको जिताने में मदद की | सबसे पहले आप बुखारा पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की |
पानीपथ का प्रथम युद्ध :-
बाबर फीर से दिल्ली पर तैमूरवंशियों का शासन चाहता था इस उद्देश्य से आपने सबसे पहले कंधार पर आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया | बाबरनामा के अनुसार 21 अप्रैल 1526 को आपने इब्राहिम लोदी से युद्ध की जिसमे आपने अपने सैन्य प्रशिक्षण का परिचय दिया बाबर ने सर्वप्रथम इसी युद्ध में पुलगावा पध्दति का प्रयोग किया अर्थात आपकी सेना एक के पीछे खड़ा रहता था जिससे की दुश्मनो को सेना कम दिखता था बाद में समय मिलते ही पीछे से दुश्मनो के सेना को घेर लेते थे |
आप इसी युद्ध में ही आग के गोलों का प्रयोग किया , आग के गोलों को आप दुश्मनो के हाथी से सर पर मारते थे जिससे हाथी पागल होकर अपने ही सेना को रौंध कर मार डालता था और जो डर के भागता था उसके लिए आपकी सेना जो दुश्मनो को घेर कर खड़ी है वो मार देते थे | बाबर ने अपने कम सेना के साथ इब्राहिम लोदी के विशाल सेना को हरा दिया था यह युद्ध पानीपथ का प्रथम युद्ध के नाम से जाना जाता है | बाद में बाबर ने दिल्ली पर 1526 में मुग़ल वंश की नीव रखी |
खानवा का युद्ध :-
17 मार्च 1527 को मेवाड़ के शासक राणा सांग के साथ आपने युद्ध किया | इस युद्ध में राणा के नेतृत्व में राजपूत अत्यधिक शक्तिशाली हो गए थे | जिसमे राजा हसन खान मेवाती , इब्राहिम लोदी के भाई मेहमूद लोदी , मारवाड़ , अम्बर , ग्वालियर , अजमेर , और चंदेरी राणा सांगा के समर्थन कर रहे थे |
Babar biography in hindi |
इस युद्ध में राणा सांगा का विजय लगभग तय था | क्योकि बाबर के सैनिक राणा के सैनिक के आधे भी नहीं थे |
इस युद्ध के परिणाम को उल्टा करने के लिए बाबर ने लोदी के सेनापति को प्रलोभन देकर अपने ओर मिला लिया और युद्ध के समय अपने सैनिको को शराब से दूर रहने के लिए कसम खवाई युद्ध में बाबर ने पुलगावा पद्धति का प्रयोग कर राणा सांगा को हरा देता है यह युद्ध खानवा का युद्ध कहलाता है जिसके बाद बाबर ने दानी की उपाधि ली |
चंदेरी पर आक्रमण :-
बंगाल के शासक नुसरत शाह ने अफगानो का समर्थन किया जिनसे अफगानो ने मुगलो को अनेक स्थानों से निकाल दिया था किन्तु बाबर ने अपने सैनिको की युद्ध के लिए चंदेरी भेजा क्योकि वहां राजपूत शक्ति का एकीकरण हो रहा था इस पर बाबर के सैनिक असफल रहे तब बाबर ने स्वयं चंदेरी पर आक्रमण किया | और युद्ध से पूर्व ही शांति प्रस्ताव भेजा की यदि चंदेरी समर्पण कर दे तो उन्हें शमशाबाद की जागीर दी जाएगी किन्तु उन्होंने अस्वीकार कर दिया |
बाबर ने राजपूतो के साथ भयंकर युद्ध किया कई राजपुताना वीरांगनाओ ने जौहर कर लिया उसके बाद बाबर ने चंदेरी का राजपाठ मालवा सुल्तान के वंशज अहमद शाह को दे दिया बदले में वे 20 लाख प्रति वर्ष शाही कोष में देंगे |
घाघरा का युद्ध : -
अफगानो ने पूर्वी क्षेत्र में आक्रमण कर दिया तब बाबर ने युद्ध कर उन्हें शांत किया किन्तु वे अफगान जो बंगाल के शासक नूरसत शाह का समर्थन था उन्होंने घाघरा नामक नदी में बाबर से युद्ध किया | बाबर ने इस युद्ध में नूरसत शाह को पराजित कर संधि किया की वे कभी भी अफगानो को शरण नहीं देंगे | और शेर खान को अपना मंत्री बनायेंगे |
मृत्यु :-
आपका मृत्यु 1530 में स्वास्थ बिगड़ने से हुआ आपका अंतिम इच्छा था की आपके शव को काबुल में दफनाया जाया प्रारम्भ में आगरा में दफनाया गया था किन्तु 9 बर्ष बाद पुत्र हुमायुँ ने आपके इच्छा को पूरा किया |
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