चन्द्रगुप्त मौर्य जीवनी :-
भारत के भावी सम्राट का कहानी |Chandragupta Maurya Biography चन्द्रगुप्त मौर्य जीवनी |
परिचय :-
चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ईसा पूर्व में पाटिलीपुत्र (वर्तमान बिहार ) में हुआ था | आपके पिता का नाम विशाल गुप्त गुप्त था तथा माता का नाम मुरा था | आपको माता प्रेम से चंद्र के नाम से पुकारती थी | मौर्य वंश के सन्दर्भ में एक प्रसंग ये भी है की चंद्रगुत मौर्य के दादा जी के दो पत्नी थी | एक से उन्हें 9 पुत्र थे जिन्हे नवनादास और दूसरे से 1 पुत्र नंदा ( विशाल गुप्त ) प्राप्त था | नवनादास अपने सौतेले भाई से जलते थे उन्हें मारने के ताक में थे | कहते है की चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता विशाल गुप्त के 100 पुत्र थे चन्द्रगुप्त को मिलाकर ईर्ष्या के कारण नवनादास ने उनके सारे पुत्रो को मार दिया था | जब चन्द्रगुप्त का समय आया तो आपके माता मुरा ने आपके हाथो में मोर के पंख का निशान बनाकर मगध के ग्रामीण क्षेत्रो में छोड़ दिया ताकि वे सुरक्षित रहे |
Chandragupta Maurya Biography चन्द्रगुप्त मौर्य जीवनी |
शिक्षा : -
तत्कालीन समय में तक्क्षशीला शिक्षा का केंद्र था | और विष्णु गुप्त जिन्हे हम आचार्य चाणक्य के नाम से जानते है ,ये वहाँ के प्रधान शिक्षक थे | उस समय सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था जिसमे तक्षशिला और गान्धार के सम्राट आम्भी ने सिकंदर से समझौता कर लिया था | भारतीय संस्कृति और अखंडता को बचाने के लिये चाणक्य ने तत्कालीन राजाओ से सहायता माँगा परन्तु किसी ने मदद नहीं किया तब चाणक्य ने सम्राट धनानद से मदद माँगा और अहंकारी धनानंद ने आचार्य चाणक्य को भरे सभा में अपमानित किया | उसी समय चाणक्य ने यह प्रतिज्ञा ली की मै अपने शिखा को तब तक नहीं बांधूगा धनानंद जब तक तेरे समूल कुल का नाश ना कर दू |
जब चाणक्य धनानंद के दरबार से जा रहे थे तो रास्ते जंगल में एक बाघ ने उन पर आक्रमण कर दिया तब एक बालक (चन्द्रगुप्त) ने उसे बचाया बाद में उसी बालक को चाणक्य ने राजा और प्रजा का खेल खेलते जंगल में देखा उसके विचारो और वीरता से प्रसन्न हो गया | तभी चाणक्य ने यह विचार कर लिया था की यदि कोई भारत का सम्राट बनने का योग्य है तो वो यही बालक है| उस समय चन्द्रगुप्त एक दास था जिससे सोने के मोहरे देकर आजाद किया गया | और उसे तक्षशिला लाकर शास्त्र, शस्त्र, वेद, उपनिषद, और अन्य शिक्षा दिया |
नन्द वंश का अंत तथा मौर्य साम्राज्य का उदय :-
चाणक्य ने कई छोटे बड़े राज्यों के राजा को अपने साथ मिलाया एक विशाल सेना का निर्माण किया | चुकी चाणक्य विद्वान् के साथ कूटनीति का ज्ञाता था वह जनता था की इतने बड़े साम्राज्य को हराना आसान नहीं है इसलिए उसने नन्द वंश के शत्रु को आपने ओर कर लिया और नन्द के जो समर्थक थे उसमे मतभेद करवा दिया नन्द के चारो ओर जो छोटे राज्य थे उसे आपने आधीन कर दिया | एक और बड़ी चतुराई का काम इन्होने किया ये जो धनानंद के भाई थे इनमे ही धनानंद का शक्ति निहित था अब चाणक्य ने सीधा धनानंद से युद्ध न करके उसके भाइयो को एक-एक कर मार दिया उसके राजकोष को लूट दिया जिससे धनानंद का अर्थव्यवस्था कमजोर हो गया | शस्त्रागार में आग लगा दिया अब उनके पास लड़ने के लिये न तो धन है न शस्त्र और ना ही उनके भाई है अब चन्द्रगुप्त ने सीधा धनानंद के साथ जा कर युद्ध किया और उसका अंत कर मौर्य साम्राज्य का नीव रखा |
Chandragupta Maurya Biography चन्द्रगुप्त मौर्य जीवनी |
साम्राज्य विस्तार :-
322 ईसा पूर्व में आपका राज्याभिषेक हुआ इसके पश्चात आप अपने राज्य को सुदृण करने और विस्तार करने में लग गए आप अफगानिस्तान से बर्मा और जम्मू कश्मीर से हैदराबाद तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया | 323 ईसा पूर्व में सिकंदर का देहांत हो गया जिससे उनका साम्राज्य कई छोटे - छोटे राज्य में विभक्त हो गया | आपने 316 ईसा पूर्व में इन राज्यों ईरान , क्राजिस्तान , तजाकिस्तान को जीत कर अपने साम्राज्य में मिला लिया |
आपने सेल्यूकस निकेटर जो अलेक्ज़ेंडर का सेनापति था उसे हरा कर संधि किया जिसमे आचार्य चाणक्य के कहने से उनकी पुत्री हेलना से विवाह कर उनसे आपने वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया | इससे पूर्वी एशिया में आपका वर्चस्प स्थापित हो गया |
जैन धर्म के अनुयायी :-
50 वर्ष की आयु में आप धार्मिक क्षेत्र में संलग्न हो गए और जैन धर्म के अनुयायी बन गए आपने जैन संत भद्रबाहु को अपना गुरु बना लिया |
पुत्र बिन्दुसार का राजयभिषेक :-
आपने 298 ईसा पूर्व में अपने पुत्र बिंदुसार का राज्यअभिषेक किया |
मृत्यु :-
आप अपने पुत्र को राज्य का जिम्मेदारी शौप कर कर्णाटक की गुफा श्रवणबेलगोला नामक स्थान के मैसूर चंद्रगिरि हिल पर्वत में 5 हफ्तों तक बिना कुछ खाये तप किया और भूख में आपने मोक्ष को प्राप्त कर लिया |
आभार :-
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